Aacharya Aarjav Sagar ji Maharaj (AARJAV VANI) आर्जव वाणी

परम् पूज्य आचार्य श्री १০८

आर्जवसागर जी महाराज

दिनांक 12 अक्टूबर 2025 

जैन समाज के गौरांवित संत आचार्य श्री 108 आर्जवसागर जी महा मुनिराज को 12 अक्टूबर 2025 को ग्रीस स्थित Chania International University द्वारा मानद  Doctor of Letters (D.Litt.) Honoris Causa की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।
विश्वविद्यालय के International Academic Council ने यह उपाधि उन्हें आध्यात्मिकता, भारतीय दर्शन, जैन आगम प्रचार-प्रसार तथा सामाजिक जागरण के क्षेत्र में किए गए उनके अमूल्य योगदान की मान्यता स्वरूप प्रदान की है।

आचार्य श्री ने अब तक अनेक साहित्यिक एवं आध्यात्मिक कृतियाँ रची हैं, जिनमें तीर्थोदय काव्य, आगम अनुयोग, जैनागम संस्कार, सम्यक् ध्यान शतक तथा सदाचार सूक्ति काव्य प्रमुख हैं। इन ग्रंथों ने जैन दर्शन के गूढ़ तत्वों के साथ साथ समाज के कल्याण, संस्कृति के संवर्धन को सरल भाषा में प्रस्तुत कर जनमानस में नई चेतना का संचार किया है।
इस अंतरराष्ट्रीय सम्मान से न केवल आचार्य श्री का गौरव बढ़ा है, बल्कि सम्पूर्ण जैन समाज और भारतीय संस्कृति का मान विश्व पटल पर और अधिक ऊँचा हुआ है। उनके आर्जवमय जीवन से संपूर्ण भारत देश में आध्यात्मिकता का परचम लहरायेगा ।किया गया।
यह उपलब्धि केवल आचार्य श्री की नहीं, बल्कि जैन दर्शन, भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की वैश्विक प्रतिष्ठा का प्रतीक है।

जैन धर्म के अनुकरणीय संत, आचार्य आर्जवसागर जी महाराज को हाल ही में एक अत्यंत गौरवपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई है। उन्हें  USA, UN, ASIAN बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा उनके आध्यात्मिक साहित्यिक योगदान, समाजसेवा, और अहिंसा के प्रचार-प्रसार के लिए अलंकरण (सम्मान) प्रदान किया गया है। यह सम्मान न केवल जैन समाज के लिए, बल्कि समस्त भारतवर्ष के लिए गर्व का विषय है।
आचार्य आर्जवसागर जी का जीवन तप,त्याग, तपस्या, आत्मानुशासन और करुणा  एवं चारित्र का प्रतीक रहा है। वे वर्षों से समाज को धर्म, नैतिकता और संयम का मार्ग दिखा रहे हैं। उनके अहिंसा एवं शिक्षा पर आधारित प्रवचन जन-जन को जीवन की सच्ची दिशा प्रदान करते हैं। वे विशेष रूप से युवाओं को नैतिक जीवन, नशामुक्ति और शाकाहार की ओर प्रेरित करते  हैं।

USA, UN, ASIAN बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड” एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत संगठन हैं ।जो विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान देने वाले व्यक्तित्वों को सम्मानित करते है। आचार्यश्री को यह सम्मान उनके द्वारा रिकॉर्ड स्तर पर रचित अनेक कृतियों जैसे मुरज बंध, समयोदय काव्य, अंतादि शतक आदि एवं उनके सान्निध्य में किए गए आध्यात्मिक आयोजनों, समाज सुधार अभियानों और लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली जीवन शैली के लिए प्रदान किया गया है।सभी को अत्यंत हर्ष का विषय है कि आचार्य आर्जवसागर को  USA, UN, ASIAN, LONDON बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा  अलंकृत किया गया है। एवं उनके अद्वितीय साहित्यिक आदि योगदान को मानद की उपाधि (डॉक्टर्ड) के योग्य माना।
यह पुरस्कार सिद्ध करता है कि भारतीय आध्यात्मिक परंपरा की गूंज अब केवल भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह विश्वमंच पर भी अपनी विशेष छाप छोड़ रही है।

इस सम्मान के माध्यम से आचार्य आर्जवसागर जी ने यह सिद्ध कर दिया कि धर्म केवल पूजा या साधना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन को सन्मार्ग की ओर ले जाने वाला व्यवहारिक मार्ग भी है। उनका जीवन आज की पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है कि सेवा, संयम और साधना से व्यक्ति न केवल आत्मिक उन्नति कर सकता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। 
यह सम्मान केवल आचार्यश्री का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण जैन समाज का सम्मान है। यह हमें यह भी स्मरण कराता है कि यदि हम अपने सिद्धांतों पर अडिग रहें और सेवा को अपना धर्म मानें, तो संपूर्ण विश्व हमारे कार्यों को पहचान देगा। 
हम एवं सम्पूर्ण भारत वर्ष आचार्य आर्जवसागर जी को इस यूनिक सम्मान के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे दीर्घायु हों और ऐसे ही समाज और धर्म की सेवा करते रहें।

पिड़ावा समाज के प्रत्येक साधर्मी जन की जितनी तारीफ की जाए कम है यह ऐसी समाज है जो हमेशा एकजुटता का प्रतीक रही है। समाज मे नित नए आयाम गुरुदेव आचार्य श्री आर्जवसागर जी ससंघ के सानिध्य में हो रहे है प्रत्येक साधर्मी जन किसी कार्य मे पीछे नही सभी अपनी क्षमता अनुसार हर कार्य मे चाहे सोलहकारण व्रत हो दसलक्षण विधान हो मांगलिक भवन में डॉम का कार्य या फिर जो समाज को सबसे ज्यादा जिस कार्य की आवश्यकता थी कि एक चांदी का रथ उसमे प्रत्येक चाहे बच्चे हो नवयुवक हो पुरुष महिलाएं बुजुर्ग गण जिनका हमेशा आशीर्वाद रहा है ऐसे साधर्मी जन ने गुरदेव के एक आशीर्वाद पर  इतना दान दिया है और बढ़चढ़कर दे रहे है की क्या कहना महिलाएं तो भरी सभा मे अपने आभूषणो का दान दे रही है तो कोई नियम ले रहे है कि हम आभूषणो का त्याग जीवन भर के लिये कर रहे है इस दान में बाहर से भी जो गुरदेव के भक्तगण है  चेनई गुजरात दिल्ली दमोह तमिलनाडु अमेरिका और भी कई जगह के भक्त जिनका शायद हम नाम भूल गए  और  सभी साधर्मी जन जिन्होंने अपनी क्षमता न छुपाते हुवे हर कार्य को सफल बनाने में सहयोग किया उन सभी दान दातार परिवारों के पुण्य की खूब खूब अनुमोदना

_आचार्य श्री आर्जवसागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में हुए 10 दिनों तक प्रतिदिन के हुए कार्यक्रम_

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1️⃣दस धर्म पर्व पर प्रवचन

2️⃣दोपहर तत्त्वार्थ सूत्र कक्षा

3️⃣सायंकालीन बहुत सुन्दर ध्यान

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लोक कल्याण महामंडल विधान

विधान के माध्यम से होगी सोलहकारण वृहद आराधना*…  _(दिनांक 1 सितंबर से 16 सितंबर तक)  अशोकनगर में गुरु सान्निध्य में आयोजित होगा लोक कल्याण महामंडल विधान